कक्षा पाँचवीं गतिविधि (स्वामी दयानंद सरस्वती जी की प्रेरणात्मक सूक्तियाँ ।)






आर्य समाज की स्थापना सन् 1875 ईस्वी में स्वामी दयानंद सरस्वती ने बंबई में की थी। भारत में आर्य समाज की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य हिंदू धर्म और समाज में व्याप्त कुरीतियों तथा बुराइयों को समाप्त करना था। इसके अतिरिक्त इस समाज के द्वारा वैदिक धर्म की पुनः स्थापना की जाने का लक्ष्य था।
स्वामी दयानंद सरस्वती पहले व्यक्ति थे जिन्होंने घोषणा की थी कि विदेशी राज्य से स्वराज्य हर प्रकार से श्रेष्ठ है। आर्य समाज ने देश में स्वाभिमान और देश प्रेम की भावना को जागृत किया।
स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदी भाषा में अनेक पुस्तकें लिखी थीं। ऐसा करके उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाया और संस्कृत भाषा के महत्व को पुनः स्थापित किया। 
कक्षा पाँचवीं  के छात्रों ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी की प्रेरणात्मक सूक्तियां को याद कर सुनाया व उनके अर्थ को भी  समझाया। जिससे छात्र बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत हुए जैसे-


सेवा का उच्चतम रूप एक ऐसे व्यक्ति की मदद करना है, जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है।
~ मनुष्य की विद्या उसका अस्त्र, धर्म उसका रथ, सत्य उसका सारथी और भक्ति रथ के घोङे होते हैं।
















 

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