सीखने का क्षेत्र : नाट्य मंचन

नाटक काव्य का एक रूप है अर्थात जो रचना केवल श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय मे में रसानूभूति कराती है।

अभिनय कौशल के माध्यम से समाज एवं व्यक्त के चित्रों का प्रदर्शन ही नाटक कहलाता है। यह दृश्य काव्य के अंतर्गत आता है जो रंगमंच का विषय इसका उद्देश्य शिक्षण और मनोरंजन के साथ-साथ मानवीय संवेदना समस्या समाज का यथार्थ चित्रण करता है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु बुद्ध दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय को आनंदित कराती है उसे नाटक या दृश्य - काव्य कहते हैं नाटक में श्रव्य  काव्य से अधिक शोभनीय होती है।तुरत सूरत बुद्धि बिगड़े हुए काम को तत्काल बना देती है। इसी आधार पर इतिहासकारों के मुताबिक तेनालीराम एक हास्य कवि होने के साथ-साथ ज्ञानी और चतुर व्यक्ति थे। तेनालीराम  राज्य से जुड़ी विकट परेशानियों से उबरने के लिए कई बार महाराज कृष्ण देव राय की मदद करते थे। उनकी बुद्धि चतुराई और ज्ञान बोध से जुड़ी कई कहानियां हैं। उनमें से उनकी कहानी का नाटक शतरंज की मात कहानी है जिसे थिएटर क्लब के छात्रों ने बड़ी बेखूबी से चित्रण किया है।

शतरंज में मात




































Comments

Popular posts from this blog

विराम चिह्न गतिविधि

विद्यालय में पुनः स्वागत है