कक्षा पाँचवीं - नाटकीकरण
नाटकीकरण का मतलब सिर्फ उसका प्रदर्शन नहीं होता बल्कि भाषा सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा होता है। इसमें बच्चों को बोलने के लिए प्रोत्साहन मिलता है और उन्हें मौका मिलता है कि वे सीमित भाषा के साथ भी अमौखिक संवाद साधनों जैसे कि शारीरिक गतिविधियों और चेहरे के हाव-भाव का इस्तेमाल करते हुए अपनी बात को संप्रेषित कर सकें।
कक्षा पाँचवीं के छात्रों को पाठ 'शतरंज में मात' (राजा कृष्णदेव व तेनालीराम) से संबंधित नाट्य मंचन गतिविधि करवाई गई । जिसमें छात्रों को अलग-अलग समूह में विभाजित किया गया था। छात्रों ने गतिविधि में बड़े ही उत्साह से भाग लिया तथा पात्रों के चरित्र चित्रण को बखूबी निभाया।
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